किसान ने शिवा जी के गुरु को पीटा, बदले में मिला उपहार

कुछ लोग परिस्थितियों के वशीभूत होकर गलत आचरण करते हैं तो कुछ लोगों के आचरण में ही गलत व्यवहार घुला मिला होता है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको एक प्रेरक प्रसंग के बारे में बता रहे हैं, जिसमें एक किसान ने शिवाजी के गुरु जी को पीट दिया, बदले में उसे जमीन का उपहार देने की बात शिवा जी के गुरु ने ही कह दी। आखिर ऐसा क्यों हुआ? पढ़ें यह प्रेरक घटना।
एक बार शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास पैदल ही कहीं जा रहे थे। चलते चलते उन्हें प्यास लग आई, लेकिन कहीं पानी का स्रोत दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उनकी नजर पास के एक खेत पर पड़ी। बगल में एक गन्ने का खेत था। गुरुजी ने एक गन्ना तोड़ा और उसे चूस कर प्यास बुझाने लगे। इसी बीच खेत वाले किसान की उन पर नजर पड़ गई। वह उनके पास पहुंचा और उनको पकड़ कर पीट दिया। यह बात जब शिवा जी को पता चली तो किसान को पकड़ कर शिवाजी के दरबार में पेश किया गया।
किसान यह जानकर बहुत ही डर गया कि उसने जिसे पीटा है, वे तो शिवाजी के गुरु हैं। डर के मारे उसकी हालत खराब हो रही थी। उसे डर था कि उसे कड़ी सजा मिलने वाली है। जैसे ही शिवाजी ने किसान को दंडित करना चाहा, तो समर्थ रामदास ने वैसे ही कहा कि पीड़ित होने के नाते मुझे दंड देने का हक है। उन्होंने शिवाजी से कहा, 'इस किसान को पांच बीघा जमीन दे दो।'
गुरु जी की यह बात सुनकर सभी आश्चर्य में पड़ गए और बोले कि यह सजा सुनाई है या पुरस्कार दिया है। सभी लोगों की बातें सुनने के बाद शिवा जी के गुरु समर्थ रामदास बोले, 'कम जमीन होने के कारण गरीब किसान अपने परिवार का भी भरण-पोषण नहीं कर पा रहा है, इसलिए शायद उसने मुझे पीटा होगा।'
कथा सार
अहंकार रहित और गरीबों के प्रति सद्भावना रखने वाले लोग ही न्यायप्रिय होते हैं।